કલ્પવૃક્ષ

ૐ ભૂર્ભુવ:સ્વ: તત્સવિતુર્વરેણ્યં ભર્ગોદેવસ્ય ધીમહિ ધિયો યો ન: પ્રચોદયાત્ ||

ईन्द्रियों के गुलाम नहीं, स्वामी बनिए !

ईन्द्रियों के गुलाम नहीं, स्वामी बनिए !

जो आदमी केवल ईन्द्रिय-सुखों और शारीरिक वासनाओं की तृप्ति के लिए जीवित है और जिस के जीवन का उदेश्य ' खाओ, पीओ, मौज उडाओ' है | निस्संदेह वह आदमी परमात्मा की ईस सुन्दर पृथ्वी पर एक कलंक है, भार है | कयों कि उसमे सभी परमात्मीय गुण होते हुए भी वह एक पशु के समान नीच वृत्तियों मे फसा हुआ है | जिस आदमी में ईश्वरीय अंश विद्यमान है, वही अपने सुख से हमें अपने पतित जीवन को दुख भरी गाथा सुनाता है !! यह कितने दुख की बात है | जिस, आदमी का शरीर सूजा हुआ, भद्दा, लजजा युक्त, दुखी और रुग्ण है, व ईस सत्य की घोषणा करता है कि जो आदमी विषय वासनाओं की तृप्ति में अन्धा धुन्ध, बिना आगा पीछा देखे लगा रहता है, वही शारीरिक अपवित्रताओ, यातनाओ को सहता है |

वास्तव में आदर्श मनुष्य वही है, जो समस्त पाशविक वृत्तियों तथा विषय वांसनाओं को रखता हुआ भी उनके उपर अपने सुसंयता तथा सुशासक मन से राजय करता है, जो अपने शरीर का स्वामी है, जो अपनी समस्त विषय वासनाओ की लगाम की अपने द्रढ तथा धैर्य युक्त हाथो में पकड कर अपनी प्रत्येक ईन्द्रिय से कहता है कि तुम्हे मेरी सेवा करनी होगी, न कि मालिकी | र्मै तुम्हारा सदुपयोग करुंगा दुरुपयोग नहीं | एसे ही मनुष्य अपनी समस्त पाशविक वृत्तिओ तथा वासनाओ की शक्तियों को देवत्व में परणित कर सकते है - विलास मृत्यु हे और संयम जीवन है | सच्चा, रसायन शास्त्री वही है जो विषम वासनाओ के लोहे को आघ्यात्मिक तथा मानसिक शक्तियों के स्वर्ण में पलट लेता है |

अखंड ज्योति, डीसेम्बर- 1945

महाकाल से प्रार्थना :

महाकाल से प्रार्थना :

हे महाकाल ! उज्जवल भविष्य की रचना के लिए-अ५ने संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें उ५युक्त शक्ति , मनोवृति तथा प्रेरणा दें | हे प्रभो ! हमारे संकल्प पूरे हों | हम सुख-सौभाग्य, श्रेय-पुण्य तथा आ५की कृपा के अधिकारी बनें | आ५से दिव्य अनुदान पाने और उन्हें जन-जन तक ५हुंचाने की हमारी पात्रता बढती रहे |

યુગક્રાંતિના ઘડવૈયા પં. શ્રીરામ શર્મા આચાર્ય

યુગક્રાંતિના ઘડવૈયા પં. શ્રીરામ શર્મા આચાર્યની કલમે લખાયેલ ક્રાંતિકારી સાહિત્યમાં જીવનના દરેક વિષયને સ્પર્શ કરાયો છે અને ભાવ સંવેદનાને અનુપ્રાણિત કરવાવાળા મહામૂલા સાહિત્યનું સર્જન કરવામાં આવ્યું છે. તેઓ કહેતા “ન અમે અખબારનવીસ છીએ, ન બુક સેલર; ન સિઘ્ધપુરૂષ. અમે તો યુગદ્રષ્ટા છીએ. અમારાં વિચારક્રાંતિબીજ અમારી અંતરની આગ છે. એને વધુમાં વધુ લોકો સુધી ૫હોંચાડો તો તે પૂરા વિશ્વને હલાવી દેશે.”

દરેક આર્ટીકલ વાંચીને તેને યથાશક્તિ–મતિ જીવનમાં ઉતારવા પ્રયત્ન કરશો તથા તો ખરેખર જીવન ધન્ય બની જશે આ૫ના અમૂલ્ય પ્રતિભાવો આપતા રહેશો .

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